Aditya Birla Sun Life Insurance Company Limited

इन-फोर्स पॉलिसी

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इन-फोर्स पॉलिसी क्या है?

इंश्योरेंस इंडस्ट्री में “इन-फोर्स पॉलिसी” का मतलब एक ऐसी पॉलिसी से होता है जिसके तहत पॉलिसीहोल्डर प्रीमियम भुगतान जारी रखता है और इस तरह पॉलिसी एक्टिव या "इन-फोर्स" रहती है। यह शब्द इंश्योरेंस पॉलिसियों के विभिन्न प्रकारों पर लागू होता है जिनमें लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, मोटर इंश्योरेंस आदि शामिल हैं।

एक इन-फोर्स पॉलिसी का मतलब है कि इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसीहोल्डर के बीच अनुबंध सक्रिय है, और यदि इंश्योर्ड घटना होती है तो इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी अनुबंध में परिभाषित बेनीफिट्स का भुगतान करने को बाध्य है।

इन-फोर्स पॉलिसी क्यों महत्वपूर्ण है?

इन-फोर्स पॉलिसी की महत्ता इसके संभावित बेनीफिट्स और सुरक्षा कवरेज में निहित है। इन-फोर्स पॉलिसी में:

  1. सिक्योरिटी एवं प्रोटेक्शन: पॉलिसीहोल्डर को पॉलिसी एग्रीमेंट के तहत बेनीफिट्स का आश्वासन दिया गया है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में यह डेथ बेनीफिट, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में हॉस्पिटलाइजेशन कवरेज, या मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में यह मरम्मत का खर्च हो सकता है।

  2. कानूनी दायित्व: जब तक पॉलिसी इन-फोर्स है, इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी एग्रीमेंट का सम्मान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। वह पॉलिसी निष्क्रिय होने के आधार पर क्लेम से इनकार नहीं कर सकती।

  3. **फाइनेंशियल प्लानिंग:**Bold पॉलिसियों को इन-फोर्स रखना फाइनेंशियल प्लानिंग का का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पॉलिसी के प्रकार के हिसाब से यह सेफ्टीनेट, निवेश या दोनों के कॉंबीनेशन के रूप में काम कर सकता है।

पॉलिसी कब इन-फोर्स होती है?

जब इंश्योरेंस कंपनी भावी पॉलिसीहोल्डर से प्रस्ताव स्वीकार करती है, पहले प्रीमियम का भुगतान हो जाता है, और पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी कर दिया जाता है, तब पॉलिसी इन-फोर्स हो जाती है। पॉलिसी तब तक इन-फोर्स रहती है, जब तक पॉलिसीहोल्डर प्रीमियम समय पर जमा करता रहता है और पॉलिसी एग्रीमेंट में उल्लिखित किसी भी अन्य दायित्व को पूरा करता रहता है।

ग्रेस पीरियड के भीतर प्रीमियम का भुगतान न करने की स्थिति में पॉलिसी समाप्त हो सकती है और इन-फोर्स नहीं रह सकती है।हालाँकि, अधिकांश इंश्योंरेंस कंपनियां लैप्स पॉलिसी को एक निश्चित अवधि के भीतर पुनर्जीवित करने के लिए विकल्प प्रदान करती हैं।

पॉलिसी को इन-फोर्स कैसे रखें?

पॉलिसी इन-फोर्स रखने के लिए:

  1. समय पर प्रीमियम भुगतान: पॉलिसीहोल्डर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रीमियम का समय पर भुगतान हो। अनेक इंश्योरेंस कंपनियां मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक जैसे भुगतान के विभिन्न तरीके प्रदान करती हैं।

  2. पॉलिसी समीक्षा: पॉलिसी की नियमित समीक्षा सुनिश्चित करती है कि पॉलिसी अभी भी पॉलिसीहोल्डर की वर्तमान आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के अनुकूल है। जीवन के चरणों या वित्तीय लक्ष्यों में परिवर्तन होने पर पॉलिसी समायोजन की आवश्यकता हो सकती है।

  3. तत्काल अपडेट: पॉलिसी को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत विवरणों या परिस्थितियों में कोई भी परिवर्तन तत्परता के साथ इंश्योरेंस कंपनी को सूचित कर दिए जाने चाहिए ।

निष्कर्ष के तौर पर, पॉलिसी इन-फोर्स बनाए रखना इंश्योरेंस मैनेजमेंट व फाइनेंशियल प्लानिंग का एक अहम पहलू है। इससे सुनिश्चित होता है कि पॉलिसीहोल्डर को इंश्योरेंस पॉलिसी से लक्षित लाभ प्राप्त हो रहा है।अपनी पॉलिसी की शर्तों और नियमों को हमेशा अच्छी तरह समझें और समय पर प्रीमियम का भुगतान करते रहें, ताकि आपकी पॉलिसी इन-फोर्स रहे।

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1एलआई आयु 21, पुरुष, धूम्रपान न करने वाला, विकल्प 1: लाइफ कवर, पीपीटी: नियमित वेतन, सम एश्योर्ड : ₹ 1 करोड़, पीटी: 10 वर्ष, प्रीमियम भुगतान अवधि: 10 वर्ष, वार्षिक प्रीमियम: ₹ 5900/- (जो कि ₹ 491.66/माह है) प्रीमियम जीएसटी को छोड़कर। मृत्यु पर, ₹1 करोड़ सम एश्योर्ड का भुगतान किया जाता है और पॉलिसी समाप्त हो जाती है।
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