इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीए) भारत में इंश्योरेंस सेक्टर को प्रशासित करने वाली नियामक संस्था है. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी एक्ट 1999 के तहत इसकी स्थापना की गई थी और यह इंश्योरेंस उद्योग को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है ताकि पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा की जा सके और इस क्षेत्र के विकास और प्रगति को सुनिश्चित किया जा सके।
आईआरडीए की भूमिका एवं उत्तरदायित्व
आईआरडीए भारत में इंश्योरेंस क्षेत्र को विनियमित और विकसित करने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य करता है:
विनियमन एवं पर्यवेक्षण :
आईआरडीए इंश्योरेंस कंपनियों, मध्यस्थों और उद्योग के अन्य हितधारकों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए नियम, विनियम और दिशानिर्देश तैयार करता है और लागू करता है। इंश्योरेंस बाजार में प्राणामिकता और स्थिरता बनाए रखने के लिए आईआरडीए इनके अनुपालन को सुनिश्चित करता है और निगरानी करता है।
इंश्योरेंस कंपनियों को लाइसेंस:
आईआरडीए इंश्योरेंस कंपनियों को भारत में काम करने के लिए लाइसेंस प्रदान करता है।इंश्योरेंस कंपनियों को इंश्योरेंस गतिविधियों को करने के लिए आवश्यक अनुमोदन देने से पहले आईआरडीए उनकी वित्तीय मजबूती, कार्यक्षमता और अनुपालन का मूल्यांकन करता है।
पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा :
आईआरडीए इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स और सेवाओं के लिए नियम और मानक स्थापित करके पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा करता है। यह इंश्योरेंस कारोबार में पारदर्शिता, निष्पक्षता और नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करता है और अपने शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से पॉलिसीहोल्डर की शिकायतों का समाधान करता है।
नीति निर्माण:
आईआरडीए इंश्योरेंस क्षेत्र के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और दिशानिर्देशों का निर्माण करता है। बाजार की बदलती गतिकी और उभरते रुझानों से कदमताल के लिए वह नियमित रूप से इन नीतियों की समीक्षा और इनको अद्यतन (अपडेट) करता है।
बाज़ार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना:
एकाधिकारवादी प्रथाओं को रोककर और सभी बाजार सहभागियों के लिए एक समान स्थिति सुनिश्चित करके आईआरडीए इंश्योरेंस कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है यह बाजार की दक्षता और उपभोक्ता विकल्प को बढ़ाने के लिए नवाचार, उत्पाद विविधता और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।
विकास के लिए पहल:
आईआरडीए इंश्योरेंस के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने, इंश्योरेंस के प्रसार को बढ़ावा देने और लोगों के बीच वित्तीय साक्षरता में सुधार लाने के लिए पहल करता है। यह क्षमता निर्माण, कौशल विकास और इंश्योरेंस क्षेत्र में अनुसंधान के लिए पहलों का समर्थन करता है।
शोधनक्षमता विनियमन (सॉल्वेंसी रेगुलेशन) :
आईआरडीए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पॉलिसीहोल्डर दायित्वों को पूरा करने और दीर्घकालिक टिकाऊपन बनाए रखने की इंश्योरेंस कंपनियों की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए सॉल्वेंसी मानदंड स्थापित करता है और उनके वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी करता है।
मध्यस्थ विनियमन (इंटरमीडियरी रेगुलेशन) :
आईआरडीए इंश्योरेंस एजेंटों, ब्रोकर्स और तृतीय-पक्ष प्रशासकों (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर्स) जैसे बीमा मध्यस्थों को विनियमित करता है। यह मध्यस्थों के लिए योग्यता आवश्यकताओं, आचार संहिता और व्यवहार के मानकों को निर्धारित करता है ताकि पॉलिसीहोल्डर्स के हितों की रक्षा की जा सके।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग :
आईआरडीए अंतरराष्ट्रीय इंश्योरेंस रेगुलेटरी निकायों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग में संलग्न है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सके, सीमा पार सहयोग की सुविधा प्रदान की जा सके और इंश्योरेंस रेगुलेशन में वैश्विक रुझानों से अपडेट रहा जा सके।
निष्कर्ष
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीए) भारतीय इंश्योरेंस बाजार के विकास और विनियमन के लिए महत्वपूर्ण है। यह पॉलिसीहोल्र की सुरक्षा की गारंटी देता है, बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है, नीतियां विकसित करता है और उद्योग के विकास का समर्थन करता है। आईआरडीए की नियामक गतिविधियां और कार्यक्रम इंश्योरेंस बाजार की स्थिरता, प्रभावशीलता और विकास का समर्थन करते हैं, जिससे अंततः पॉलिसीहोल्डर और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
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एडीवी/9/23-24/1973